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Description of the Book:

 

यह पुस्तक उस एक लड़की का नज़रिया है जो अपने चश्मे के शीशे से दुनिया देखती है। उस अल्हड़, लड़कपन से भरपूर, चंचल एवं चतुर कन्या की नज़र से दुनिया बेहद खूबसूरत है। वह अपने चश्मे के कांच को भले साफ़ ना करे, परंतु उसके विचार एकदम शुद्ध और पारदर्शी प्रतीत होते हैं। उसके चश्मे से ढके नेत्रों की चमक हर दिशा में फैलती है। शायद यही कारण हो सकता है कि वे इस एक ही पुस्तक में अपने समस्त विचार समेट लेना चाहती है- चाहे वह घर से बाहर निकलते बालक के हृदय का भय हो या बाहर जाकर घर की मीठी यादें, चाहे पहले प्रेम की गुदगुदी हो या किसी पर ज़बरदस्ती प्यार थोपने की कोशिश, चाहे कोरोना वायरस काल को एक सीख के तौर पर देखना हो या स्वयं से कुछ सवाल कि "आखिर हूं कौन मैं?", चाहे सबके चेहरों पर चिपकी झूठी मुस्कान हो या जीवन के उलझनों से भरपूर सफर को दृढ़ता से पार करने की उमंग। जहां कुछ काव्य इस लड़की का बचपना एवं सादगी दर्शाते हैं, वहीं अपने उम्र से बड़े विचारों का भी वह यहां उल्लेख कर रही है। यह चश्मे वाली लड़की आशा करती है कि आप इस सफर में अंत तक उसका हाथ थामे रहेंगे ।

वो चश्मे वाली लड़की

SKU: 9789360948474
₹110.00Price
  • Author's Name: Harshpreet Kaur

    About the Author: I am Harshpreet, a law student. Law is my passion but writing poems feels like magic to me. My love for poetries and shayaris grew when I was in eleventh standard. That's when I wrote my first poem. The happiness which I felt by expressing myself through the rails of phrases was beyond words. I didn't end my relationship with poems since then....
    Book ISBN: 9789360948474
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