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Description of the Book:

 

गुम है कहीं नींद मेरी
जाने कहां भटक गई राह
निकली थी खोजने चैन ज़रा
कमबख़्त, हो गई खुद लापता

इज़्तिराब में ताकता राह उसकी
मैं होता रूबरू खुद ही से
सोचता हूं थोड़ा रोज़-मर्रा के
किस्से, रहस्य, मुद्दों पे

फिर आते ज़हन में कुछ खयाल
उठाते सवाल मेरे अस्तित्व पर
जवाब खोजता जिनके मैं
रूह के सारे पन्ने पलटकर

शायद जवाब अब मिल ही जाए
इन अनकहे लफ्ज़ो को तराशकर

लापता नींद

SKU: 9789363310582
₹110.00Price
  • Author's Name: Saksham Goyal

    About the Author: किताबें भी कितनी खफा होंगी हमसे। वादे पन्नों में गुलाब के थे, और दे सिर्फ तन्हा धूल पाए - सक्षम Just your friendly neighborhood average-man, writing about different textures of this average life.
    Book ISBN: 9789363310582
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