Description of the Book:
रोजमर्रा की जिन्दगी में हमें कई प्रकार के मनोभावों से गुजरना पड़ता है। हमारे दिलों में और जीवन में कई उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। इन परिस्थितियों में एक कवि मन व्याकुल हो जाता है।
अपने हृदय की झंझावातों को,
रचता पन्नों पर लिए कलम साथ,
स्याही से भरता मन के भावों को,
अविरल बहते मन के आघातों को,
असीम सुख मिलता तब मन को,
मिलती जब कविताओं की सौगात।
जीवन मे कितने ही सुख-दु:ख की घड़ियांँ आती हैं, मन में उफान आ जाता है, मन की भावनाएं सागर की लहरों सी हिलोरें लेने लगती हैं, तब कवि मन स्वयं को रोक नहीं पाता है और कविताओं की ऋंखलाएँ आगे बढ़ती जाती हैं।
मेरा तो मानना है कि रचनाओं को लिखना भी एक इबादत से कम नहीं ,जब कोई खुद को भूल जाता है , कविता के पात्र को खुद में महसूस करता है तब शब्दों के ताना-बाना को रचने में सुखद अनुभव और शांति मिलती है।
जीवन के कुछ कटु अनुभव भी जब काव्य का रूप ले लेती है तो सचमुच उसे पढ़ना और सुनाना दोनों ही भाता है।
एक स्त्री होने के नाते भी जीवन के कुछ ऐसे अनुभव होते हैं जिसे सिर्फ एक औरत ही महसूस करती है और व्याकुलता की पराकाष्ठा को यदि लेखनी को सौंप दी जाए तो फिर मन पावन हो जाता है, मन मयूर हो खुशी से नाचता है,तब यह मन चंचल होकर खुशियों के गीत गाता है।
ऐसी ही विभिन्न परिस्थितियों में लिखी गयी अपनी कविताओं. को इस पुस्तक में समाहित कर आप सबों तक पहुंँचाना चाहती हूँ।
सच कहूँ तो इन कविताओं की रचना में अपने प्रियजनों की सहभागिता भी कम नहीं होती है, उनके सान्निध्य से ही इन कविताओं को नया स्वरूप मिलता है।
इन दिनों की सबसे ज्यादा परिवर्तनकारी घटना तो दो वर्षों का कोरोना काल ही रहा जिसने एक कवि हृदय को झकझोर दिया। मानवीय संवेदना की कई घटनाएं तो मन को उद्वेलित कर गयीं ।
प्रकृति और पर्यावरण से इन्सान का रिश्ता खुलकर सामने आया। लोगों का प्रकृति से प्यार भी उमड़कर सामने आया, जिसका मुख्य कारण था लोगों के पास खाली समय की अधिकता।
अब लोगों की जिन्दगी पटरी पर आ तो गयी है लेकिन कहते हैं ना कि जब बुरा समय बित जाता है तो लोग अपने दु:खों को भूल जाते हैं और फिर वही करते हैं जो उन्हें अच्छा लगता है।
आज फिर से वही वक्त और परिस्थितियांँ हैं जब इन्सान अपनी गलतियों का आकलन नहीं कर पा रहा है। मनुष्य की यही आदतें उनके जीवन में कई कठिनाइयों को लाती है पर वो समझकर भी नहीँ समझ पाता है।
ऐसे ही कई ज्वलंत समस्याओं और परिस्थितियों को मैंने कविता में ढ़ाला है और मेरी यह महत्वकांक्षा है कि इस पुस्तक के रूप में अपने मनोभावों को आप तक पहुंँचा सकूँ।
इस कड़ी में बुकलिफ पब्लिशिंग का बहुत बड़ा साथ मिला कि उन्होंने हमें यह मौका दिया कि मैं अपनी बातों को आप सभी तक पहुंँचा सकूँ। इसके लिए मैं सदा ही बुकलिफ पब्लिशिंग और उनके सहयोगी टीम की आभारी रहूँगी।
सीमा आजाद
पटना, बिहार
मन की हिलोरें
Author's Name: Seema Azad About the Author: मैं पटना,बिहार की रहने वाली हूँ जो मेरी कर्मभूमि है लेकिन मेरा जन्मस्थान गया है और वहीं गया कॉलेज से मैंने रसायन शास्त्र में स्नातकोत्तर किया। वास्तव में मैं सदैव शिक्षण कार्य से जुड़ी रही । इस दरम्यान छात्र -छात्राओं की समस्या, कामकाजी महिलाओं के जीवन की दोहरी कार्य अवधि, माता-पिता का अपने बच्चों के लिए बेचैनी, उनके भविष्य को लेकर उनकी चिंताएं, ऐसे ही कई ज्वलंत समस्याओं से रूबरू होने का मौका मिलता रहा। पर्यावरण और मनुष्य का रिश्ता क्या है? उनमें आपसी सामंजस्य स्थापित करके इंसान का जीवन कैसे सुखी हो सकता है? ऐसे ही कई प्रश्न मन में गुंजित होते ,जिन्हें शब्दों की श्रृंखलाओं में अंकित करना मुझे अच्छा लगता और लगातार मेरा प्रयास रहता कि जिन बातों को मैं कविता में ढ़ालूँ वह लोगो के हृदय में अपनी जगह बना सके। मेरी कोशिश यही रहती है कि लोग मेरी रचनाओं में अपने जीवन की झलक देख सकें और मैं अपने सभी पाठकों के लिए लगातार नयी रचनाएं लाती रहूँ और उनसे लगातार जुड़ी रहूँ। अब तक मुझे मेरी रचनाओं के लिए कई साहित्यिक मंचों से सम्मान, प्रशस्तिपत्र और पुरस्कार भी मिल चुके हैं, सदैव मेरा यही प्रयास रहता है कि पाठकों का साथ भी मुझे हमेशा मिलता रहे। सीमा आजाद पटना, बिहार Book ISBN: 9789358730876