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Description of the Book:

 

 

"""मुसलसल लबों से तो कम बोलते है 
वही ख़त्म किस्सा जो हम बोलते है""

""अब मुझे अच्छा कहो या फिर बुरा 
हर खुदा के सामने काफिर बुरा 

बस यही होता है दुनिया के सफर में 
सब करो अच्छा मगर आखिर बुरा""

उर्दू सुखन के  हवाले से और लगाव से दिल में कैद अल्फाजो के पन्नो पर उतारने की कोशिश है 
उम्मीद है आपको पसंद आए गा | "

मुसाफ़िर

SKU: 9789367393574
₹110.00Price
  • Author's Name: विश्वनाथ घाणेगांवकर

    About the Author: बचपन से लफ्जों के साथ शुरू हुवा ये सफर,आज सोशल मीडिया एंटरटेनर, फिल्म निर्देशक तथा लेखक के तौर पर जारी है | जल्द ही दो फिल्में रिलीज होने वाली है | मेरे शहर में बोली जाने वाली जबा मराठी है, हिंदी या उर्दू से राबता सिर्फ बड़े बड़े शायरों और कविओंके हवाले से ही मिला | राहत इंदौरी साहब, मुनव्वर राना साहब, जनाब जॉन एलिया साहब, वसीम बरेलवी साहब और ऐसे न जाने किनते अनगिनत हीरों की रौशनी ने हमें शायरी का रास्ता दिखाया | मरहूम एजाज सय्यद सर ने न केवल ग़जल से मुलाक़ात करवाई पर उन्होंने उर्दू जबा की बारीकियां समझने के लिए जोर दिया | पर वक्त के तकाजे के चलते वो हम सब को छोड़कर चले गए और ये सफर अधूरा रह गया लेकिन गज़ल और शायरी ने साथ न छोड़ा है न कभी छूटेगा | आगे भी इस खूबसूरती को हम सराहते, सीखते रहेंगे |
    Book ISBN: 9789367393574
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