Description of the Book:
‘बयां-ए-जज़्बा’ मानवीय भावनाओं के विभिन्न रंगों की कविताओं के संग्रह से सजी है। हालाँकि अधिकांश कविताएँ मानव की स्वर्गीय भावनाओं यानी प्रेम, वियोग और विरह की पीड़ा के बारे में कवि की विशद कल्पना को दर्शाती हैं ; समाज में चल रहे अन्याय , जिसने कवि को उदास कर दिया ,के बारे में भावनाओं की हार्दिक कविताएँ भी हैं जो पाठकों को भी एक बार सोचने पर मजबूर कर देगा। आधुनिक जीवन में पढ़ने के लिए धैर्य और समय दोनों ही कम हैं। लेकिन कवि ने अपनी भावनाओं को काफी कम जगह में अपने पाठकों के लिए प्रस्तुत किया है। पाठक पुस्तक के प्रत्येक पृष्ठ को पलटते हुए खुद को कवि की कल्पना में डूबा हुआ पाएंगे।
बयां-ए-जज़्बा-रूह की आवाज़ - एक गुलदस्ता
SKU: 9789369542451
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Author's Name: श्रीकुमार
About the Author: साठ के दशक में त्रिपुरा राज्य की राजधानी में जन्मे कवि श्रीकुमार एक राष्ट्रीयकृत बैंक कार्यकारी के रूप में सेवानिवृत्त हुए। स्कूल के दिनों से ही गुप्त रूप से कविताएँ लिखना शुरू करने वाले श्रीकुमार ने जीवन की पहली कविता तब लिखी जब वे ग्यारहवीं कक्षा में पढ़ रहे थे। उन्होंने कहानियाँ, उपन्यास आदि लिखने में भी अपनी दक्षता आज़माई और हिंदी, बांग्ला, अंग्रेजी और असमिया भाषाओं में उनकी कई रचनाएँ असम, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल के विभिन्न लोकप्रिय समाचार पत्रों में पहले ही प्रकाशित हो चुकी हैं। वह मनुष्य की विभिन्न भावनाओं और सामाजिक मूल्यों के ह्रास पर भी लिखते हैं। Book ISBN: 9789369542451