Description of the Book:
हमारा पेशा कुछ भी हो, रहन-सहन जैसा भी हो, इर्द-गिर्द दुनिया जैसी भी हो, जज़्बात के स्तर पर हमारे तजुर्बे फिर भी लगभग एक से होते हैं। इंसान जज़्बात का पुतला है और हर लम्हा किसी न किसी जज़्बे को छूकर जाता है। जज़्बात को शब्दों में कहना, हवा को पिंजरे में क़ैद करने जैसा है, मगर फिर भी कई दफ़ा जब जज़्बात आम से कुछ ज़्यादा गहरे हो जाएं तो ज़ेहन में बातें उठती हैं और दिल गीत गाता है। यह किताब ऐसे ही कुछ लम्हात को गीत और नज़्म की शक्ल में सामने रखती है।
बेख़ुदी
SKU: 9789363319240
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Author's Name: निखिल मोघे
About the Author: निखिल पेशे से इंजीनियर और फ़ितरत से कला प्रेमी हैं। ग्वालियर में जन्मे और भोपाल में पले-बढ़े, इसलिए हिंदी और उर्दू से जुड़ाव रहा। मातृभाषा मराठी होने और पंजाबी की ओर ख़ास रुझान होने के कारण ज़बानों, कविताओं और गीतों में रुचि बढ़ गई। Book ISBN: 9789363319240