Description of the Book:
संस्कृत से निकली हमारी मातृ-भाषा हिंदी शहरी तथा ग्रामीण शैली की काव्य रचनाओं में रची-बसी है। इन कविताओं में रिश्तों के साथ लघु कथाएं भी छिपी हुई हैं। इन रचनाओं में रोमांचक, भावनात्मक, हास्य-व्यंग्य, नीति, उमंग, तरंग, नदियों की कलकल, पक्षियों की चहक, बदलते समाज, प्रकृति, सुरक्षा, संस्कार सभी कुछ अंकित हैं। ये रचनाएँ युवाओं, बेटियों, माताओं, पुरुषों नीति-नियंताओं तथा समस्त समाज से साफ़ सुथरा वातावरण, राष्ट्रोत्थान, संस्कारवान परिवेश तथा प्रकृति का श्रृंगार, स्वस्थ जीवन का उपहार माँगती हैं।
पारिजात के पुष्प-कविताओं की मंजरी माला
SKU: 9789367391990
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Author's Name: धर्मवती देवी
About the Author: धर्मवती देवी जी का जन्म 6 जून 1942 में अजमेर में हुआ था। पालन पोषण तथा आठवीं कक्षा तक की पढ़ाई आगरा में सामान्य परिवार में हुई। शादी हुई तो एक छोटे सामान्य परिवार में पहले दिल्ली फिर अपनी ससुराल गौतमबुद्ध नगर दादरी के गांव प्यावली में गृहस्थी शुरू हुई। गृहस्थी की ज़िम्मेदारियों के समानांतर स्वाध्याय से ज्ञानार्जन किया। जैसे जैसे उम्र बढ़ी, उलटफेर, बदलाव, उतार-चढ़ाव देख मन में जो भाव आए उन्हें क्रमबद्ध कर लिखा। लंबे समय तक परिवार तथा यह क्रम चलता रहा। धर्मवती देवी जी की कविताओं को पढ़कर उनके बच्चों की दोनों बेटियों ने सहयोग दिया। उन्हीं की प्रेरणा व प्रयासों से उनकी यह पहली किताब छप रही है। Book ISBN: 9789367391990