Description of the Book:
"""दरबदर परदेसी"" काव्य संग्रह जीवन के दायित्वों को पूरा करने के लिए अपने जन्मस्थान, अपनी जड़ों को छोड़कर दूसरे प्रदेशों एवं विदेशों में प्रवास करने को विवश, निम्न एवं मध्यम वर्गीय आबादी के त्याग एवं संघर्ष को कविता के माध्यम से अलंकृत एवं पंक्तिबद्ध करने का छोटा सा प्रयास है।
इस काव्य संग्रह के माध्यम से मेरा सरकारों एवं प्रशासनिक व्यवस्थापकों से करबद्ध निवेदन है की भ्रूण हत्या रुपी इस अनावश्यक एवं मजबूरन प्रवास को बंद करने के यथोचित प्रबंध किए जांए।"
दरबदर परदेसी-"Poems of The Unsung Migrants..."
SKU: 9789370928503
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Author's Name: शिव शंकर 'दरबदर'
About the Author: प्राइवेट नौकरी में कार्यरत रहते हुए कवि 'शिव शंकर' ने कविता लेखन के अपने शौक को जिंदा रखा। स्नातक की शिक्षा दिल्ली से पूरी की। अपने पिता सुप्रसिद्ध समाजसेवी, अनशनकारी श्री ''रामकेवल' जी एवं मृदुल हृदयी माता जी की छत्रछाया में समाज के प्रति अपने दायित्व को समझा। ग्रामीण किसान से शहरी मजदूर में परिवर्तित पारिवारिक पृष्ठभूमि के कारण शिव शंकर जी किसान एवं मजदूरों की समस्याओं से परिचित रहे हैं। एवं अपने पिता जी के साथ मिलकर वंचित वर्गों की आवाज को बुलंद करते रहे हैं। Book ISBN: 9789370928503