Description of the Book:
"ये किताब एक सामान्य भी पढ़ सके इस तरह लिखी गई है और किसी के भी दिल को छे सकती है
इस तरह लिखी गई है ।
नहीं होना था इस लेख को यहां ये किसी के दिल की निशानी है ।
अभी वो दूर है और ये दिल की बातें लिखकर इस उस दिल तक इस तरह पहुंचानी है
कुछ शब्द बचे हैं अभी जिनको एक जान तक पहुंचाना है
हर पढ़ने वाला मेरी जान है पर ये किसी और जान के लिए पहुंचाना है ।
यही मकसद मेरे लिखने का और यही मेरी बात है
इन्हीं शब्दों से जिंदा रखा है तुम्हे सच ये है कि सिर्फ शब्द साथ है ।"
तुम से मैं हूं-मैं और तुम
SKU: 9789369539314
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Author's Name: Ravi giri
About the Author: "मेरा नाम रवि गिरी है और मैं खुद को साथ लिए बना कलम को अपना साथी आगे के सफर पर खुद ही खुद के साथ निकला हूं न कोई साथ दिखाता और न कोई पास दिखाता कलम को साथ रखकर मै खुदके सफर पर निकला हूंन कोई आगे है और न पीछे सबने छोड़ दिया जो रास्ता मै उस रस्ते पर बैठ कलम पर निकला हूं ।" Book ISBN: 9789369539314