अपने जीवन के इस छोटे से सफ़र में बहुत कुछ पाया और थोड़ा बहुत खो भी दिया। लेकिन मलाल किसी बात का नहीं बल्कि खुशी होती है कि मैंने जिंदगी से जो कुछ सीखा मुफ्त में नहीं सीखा, बहुत कुछ खो कर भरपाई की है मैंने उसकी। और उम्मीद है कि आगे भी ये जिंदगी जो कुछ सिखाएगी हमारे पास कुछ न कुछ गंवाने के लिए जरूर होगा।
"कुछ ख़्वाब, कुछ हकीक़त" ये महज कुछ शब्दों से लिपटे पन्नों की एक किताब नहीं। सच कहूं तो मेरी अबतक की जिंदगी की कमाई है ये। इनमें लिखा हर एक शब्द मेरे जिंदगी के पहलू से जुड़ा है, वो पहलू जो ख़्वाब के रूप में थे और कुछ हकीक़त के रूप में। मेरे विचार , मेरी अनुभूतियां, मेरी समझ इन सब को मैंने पद्य के रूप में समेट लिया है।
साहित्य की तरफ रुझान शायद बचपन से ही पनपने लगा था। जब भी मौका मिला बस लिखते रहे और धीरे धीरे लिखने का सलीका सीखते रहे। लेकिन कोशिश है की जीवनपर्यंत ये लेखनी मेरे हाथ से न छूटे। मेरी कलम को खुद तराशने का कार्य जारी रहेगा। अपने अनुभवों और विचारों को सहेजकर मैंने "कुछ ख़्वाब, कुछ हकीक़त" में पिरोया है। मेरे ये कुछ शब्द आपके प्यार और आशीर्वाद के इच्छुक हैं।_शिवानी सिंह पटेल
top of page
₹160.00Price
bottom of page