Description of the Book:
औरत जब सड़क पर या बाजार में या कही भी सार्वजानिक स्थान पर होती हे तब उसको देखने वाले उसके शरीर को देखते हे मेने अक्सर देखा हे की जब माये दुपहर में अपने बच्चो को स्कूल बस से लेने या छोड़ने के लिए सड़क के किनारे खड़ी होती हे तब जायदातर उस रस्ते से निकलने वाले पुरुष किसी भी आयु वर्ग जाती आयु वर्ग के हो अक्सर महिला के शरीर पर उनकी नज़र होती हे मेरा खुद का ये अनुभव हे की पुरुषो की महिला की उम्र जाती शिक्षा आय और किसी भी बात से ज्यादा इस बात पर जायदा ध्यान होता हे की महिला हे शारीरिक रूप से ठीकठाक हे और वो उस शरीर की बनावट में ही उलझ जाता हे इसका मतलब ये हुवा की पुरुषो की सोच में महिलाओ का स्थान उसके शरीर को लेकर जयादा होता हे इसलिए आज भी महिला को पुरुष उसके इस्तेमाल की वस्तु ही समजा या समझाया जाता
औरत
Author's Name: डॉ अंजू गुरावा
About the Author: " डॉ अंजू गुरावा दिल्ली विश्वविद्यालय के अंग्रज़ी विभाग में कार्यरत हे और इनको बीस साल से ज्यादा पड़ने का अनुभव हे | इनका विशेष एरिया हे दलित महिला विषय और अफ्रीकन अमरीकन लेखक || डॉ अंजू गुरावा का जीवन का अनुभव बहुत विविध और सटीक हे जिसको लिखने का प्रयास किया गया हे| एक दलित महिला किस तरह के संघर्ष से गुजरती हे जीवन ककिस रूप में देखती हे| राजस्थान के ढोली समाज की एक मात्र महिला किस संगर्ष से दिल्ली विश्विद्यालय में अपने को स्थपित करने का प्रयास क्र रही दुनिया को ये जाजना ज़रूरी हे वार्ना ये संघर्ष की दास्ताँ यही ख़त्म हो जाएगी और लोग इसको कभी नहीं जान पाएंगे|आप सभी से गुज़ारिश हे की इस पुस्तक को पड़े और यूट्यूब चैनल इनके खुद के नाम से इनका यूट्यूब चैनल भी हे""डॉ अंजू गुरावा "" ज़रूर देखे सुने और " Book ISBN: 9789367392065