Description of the Book:
एक हाँ अपने लिए ! लिखने का शौक मुझे मेरी माँ से विरासत में मिला है , उनकी एक किताब को पलटते हुये मैंने पढ़ा "एक हाँ अपने लिए" और बस...उस वक़्त एहसास हुआ के , मैं किसी को ना नहीं बोल पा रही हूँ , शायद मुझे ना बोलना भी नहीं आता ! पर आज ये किताब प्रकाशित करके में कह रही हूँ वो "एक हाँ अपने लिए"! ये किताब उन कविता का समूह हैं जो मैं बचपन से लिखती आई हूँ! जब कोई साथी ना था , इन्होने मेरा साथ निभाया! दोस्त ज़रूर थे , पर इन पन्नों ने दोस्ती निभाई ! तो अगर आपको भी लग रहा हैं , तो कर ले हिम्मत हार ज़रूर होगी , पर हार ना मानने के लिए आज ही हैं सही वक़्त कह दो वो एक हाँ अपने लिए !!
एक हाँ अपने लिए
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Author Name : Chavi Jain About the Author : नमस्ते ! सबसे मुश्किल अगर कुछ हैं तो वो दो बातों का जवाब देना "और बताओ" या फिर "अपने बारे में कुछ बताये" अब अपने बारे में क्या ही बताये? मेरी छवि सबके आँखों में अलग हैं! किसी के लिए मैं हर बात पर चिढ़ती हूँ, तो किसी के लिए हर बात पर पिघलती हूँ! किसी के लिए तो शायद कुछ भी नहीं हूँ , किसी के लिए सब कुछ हूँ ! किसी के लिए फनकार हूँ , किसी के लिए लाचार हूँ ! मुझे कुछ भी नहीं सोचना नहीं आता हैं , मुझे यादों में रहना ही रास आता हैं ! लोगों के तौर तारीखें से चलना मुझे कम ही भाता हैं ! लोगों के बे-मतलब शब्दों का जनाजा मेरे मन को सताता हैं ! सबकी छवि अलग हैं , हर कोई मेरी छवि के प्रति बस अंदाजा ही लगता हैं ! Book ISBN : 9789394898035