top of page

Description of the Book:

ये कवितायेँ उन सारे वक़्त के टुकड़ो के गवाह है जब मेरे पास वो ताकत नहीं थी कि मै उन जज़्बातों को लफ़ज़ातों में उतार पाऊं. ये कवितायेँ कभी मोहब्बत की बात करती हैं तो कभी चाँद के अकेलेपन की. कभी ये कवितायेँ रूह के खुराक की बातें करती है तो कभी दंगे हुए मोहल्लों की. सीधी बात बस इतनी ही कि ज़िन्दगी में जितने रंग है ना, उन सारे रंगो को छूने की कोशिश है ये छोटी किताब.

Mohabbat aur Rajneeti

₹50.00Price
  • Author's Name: Kumar Priyadarshi
    About the Author: कुमार प्रियदर्शी उर्फ़ रमन मजाक लिए बैठे हैं ज़िन्दगी को. विदेश से लौटने के सदमे में बचपन में लगी इनके दिमाग की चोट अब असर दिखाने लगी है. कई बार दोस्तों-माशूकाओं ने समझाने की कोशिश करी है लेकिन इनको जाने कौन सी आग लगी है, बताना हमारे जैसे आम लोगों के पे स्केल से बाहर है. हमारे मोहल्ले में भैया रहते थे एक रामखेलावन. उनसे जब भी मिलते उनका रोजगार बदल चूका होता था. कभी वो अंडे छील रहे होते तो कभी बिजली मिस्त्री का काम करते मिल जाते. कभी आइसक्रीम बेचने लगते तो कभी लग जाते सिपाही की दौड़ में दौड़ने. हमारे रमन साहब का भी यही हाल है . समस्या इनकी ये है कि जिन चीज़ों को लोग शौक के लिए करते हैं, उस हर चीज़ में ये करियर बनाने में तुले हैं. पिछले महीने कैमरा लेके फिल्में बनाने निकल गए थे, परसों बिज़नेस शुरू करने कि फिराक में थे. आज जब इनको कॉल किया तो बोले कि मोबाइल में लगने वाली चिप बना रहे है ये. और जवाब ये है कि खुद को ढूंढ रहे है. अरे ऐसा कैसा ढूंढना कि ढूंढते ढूँढ़ते ही फौत हो गए. पूरा टाइम या तो लिखते हैं, या फिर पढ़ते हैं, बहस करते हैं या जोक मारते हैं. इन सबके बाद जब टाइम मिला तो फिल्म बना लिया, स्क्रिप्ट लिख दिया, कहानियां लिख दी और कवितायेँ भर दी पन्नो पे. थोड़ा और टाइम मिला तो साइंटिस्ट वाली नौकरी भी कर लिया करते हैं IIT में . मेरी मानो तो कभी ये किताब मत खरीदना, ऐसा आदमी जिसको खुद का ठिकाना नहीं है, वो तुमको ऐसा क्या ही बता देगा जो मजा आ जाए. हां, लड़की के ऊपर खर्च करने वाले हो, ciggerate में उड़ाने वाले हो, या फिर कोई और किताब खरीदके पैसा बर्बाद करने वाले हो, तो... तो फिर चलो खरीद लो. दोस्त है अपना तो तारीफ नहीं कर सकता लेकिन लिखता ठीक ठाक ही है. पढ़के बताना हमको कैसा लगा. उसको मत बताना, सर पे चढ़ जाएगा मेरे. eitherconflictorcomedy@gmail.com
    Book ISBN: 9781005826697

     

bottom of page