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Description of the Book:

 

"कबीरदास जी ने एक दोहे में कहा है कि यदि मैं सातों समुद्रों के जल को स्याही, समस्त वनों को लेखनी और सारी पृथ्वी को काग़ज़ बना लूँ, तब भी परमात्मा के गुणों को लिखा नहीं जा सकता। भारतीय वांग्मय में ईश्वर को गुणातीत कहा गया है अर्थात् वह अनंत गुणों से युक्त है।
अतः ईश्वर के गुणों के बारे में लिखना मनुष्य के सामर्थ्य के बाहर है। यद्यपि हम अपने भक्ति-भावों को कविताओं के माध्यम से यथासामर्थ्य प्रकट तो कर ही सकते हैं। ऐसा ही एक विनम्र प्रयास इस पुस्तक के माध्यम से किया गया है। 'विविधा' में ईश-वंदना, गुरु-महिमा, ऋषि-वंदना आदि विषयों पर आधारित गीत हैं। इनमें से अधिकांशतः गेय पद हैं जिन्हें भजनों की तरह गाया जा सकता है। आशा है पाठकों को यह प्रयास पसंद आएगा।  "

विविधा-ईश-वंदना, आह्वान व अन्य गीत

SKU: 9789367391747
₹110.00Price
  • Author's Name: विवेक बिसेन

    About the Author: "विवेक बिसेन मूलतः बालाघाट (मध्य-प्रदेश) से हैं और पुणे (महाराष्ट्र) में सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में कार्यरत हैं। उनकी कुछ रचनाएँ संस्थागत अंग्रेजी पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। साथ ही सम-सामयिक विषयों पर उनके कुछ पत्रों को अंग्रेजी दैनिक 'द टाइम्स ऑफ़ इंडिया' में स्थान मिला है। वे काव्य में नवीन उपमाओं के प्रयोग के पक्षधर हैं। अनुप्रास और उपमा अलंकार का उपयोग उन्हें भाता है। उन्होंने कुछ मात्रिक छंदों को भी अपने काव्य में सम्मिलित किया है। धर्म, भक्ति और अध्यात्म संबंधित विषयों पर लिखते समय, प्रामाणिकता का ध्यान रखना उनकी प्राथमिकता बन जाती है। "
    Book ISBN: 9789367391747

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