Description of the Book:
"महशर-ए-खय़ाल", यह सिर्फ एक क़िताब नहीं, वो जरियाँ है जहाँ मेरे जज़्बातो को तवज्जो मिली है। इस क़िताब में लिखी हर एक नज़्म मेरी ज़िन्दगी का एक अलग ही अफ़साना बयान करती है। मेरे हर एक एहसास को मैंने बड़े एहतिमाम से लफ़्जो में तहरीर किया है।
बड़े मुद्दत बात मेरे दिल-ए-मुज़्तर को सुकून मिला है। मेरे दिल में ऊठ रहे खयालों के सैलाब को एक ठहराव मिल गया है। इस पूरी क़िताब में मेरी ज़िन्दगी का एक बहोत बड़ा हिस्सा उज़ागर हुआ है।
हो सकता है, कुछ लोगों को मेरी तहरीर की नज़्म में अपने शख्सियत का अक्स दिखाई दे, या वो मुझ से खफ़ा हो जाए। उन सभी लोगों को मुझे कुछ नही कहना, सिर्फ इस नज़्म के अलावा-
मेरे लिखे जुमलों में मुझे सिर्फ अपने
जज़्बातो का गुबार नज़र आता है।
कुछ बे-हिस लोगों को ना-मुनासिब सा
तंज भरा ख़ुमार नज़र आता है।
ए शक-परस्त रफ़ीक!!
मुझे तेरी शिकायतों में, सिर्फ तेरा
तंगदिल नजरिया ही नज़र आता है।
महशर-ए-ख़याल
Author's Name: Dr Nazia Sheikh
About the Author: Hello, to all the wonderful people out there. I am Dr. Nazia Sheikh, a General Practitioner & Diabetologist by profession, but a poet by passion. Though, I heal my patients with medicine pills, my heart relies on my poetry for its healing. Each of the word weaved in my poetry displays the complexity of my life and the turmoil of emotions which I have gone through in my life. The lesson which I have learned in my life is that "If life throws lemons at you, it's up to you to make a lemonade out of it or let it put a sour taste in your mouth for life." Book ISBN: 9789360945305