Description of the Book:
ज़ख्मी, हर एक इंसान यहां ज़ख्मी है। सबके ज़ख्म के कारण अलग है लेकिन नतीजे एक जैसे। किसी को ज़ख्म मिले हैं सपनों से तो किसी को प्यार से, किसी को अपनो से, किसी को अपने असलियत से तो किसी को खुद से। लेकिन एक ज़ख्मी इंसान की बातें कोई सुनता नहीं है और अगर कोई सुनता भी है तो वो समझता नही है। फिर यूहीं अपने ज़ख्म को दबा के दुनिया के सामने नकाब पहन के चलते है सब।
अगर आपकी बात कोई सुनने को नही है तो उसे लिख के लोगो तक पोहचाओ। बस यही कोशिश है इन कविताओं के ज़रिए सबके ज़ख्मों को एक आवाज़ दी जाए और ये उनकी आवाज़ बन जाए।
ज़ख्म गहरे है और मरहम की तलाश है।
ज़ख्मी
Author's Name: Mrityunjay Jha
About the Author: मृत्युंजय, जिसका मानना ये है की "शब्दों की ताकत किसी भी ताकत से बड़ी होती है"। लिखने की शुरुवात 2017/18 से हुई जब यूहीं बैठे बैठे कुछ पुराने किस्से याद आए तो मन हल्का करने के लिए एक कविता लिख दी। और जब कविता लिख दी तो शब्दों से थोड़ा प्यार होने लगा और इतना हो गया कि अब एक किताब लिख दी। संगीत का शौक हमेशा से रहा है पर ज्यादा ध्यान उन गानों पे गया है जिनकी लिखाई में एक वज़न हो, एक दर्द हो। एक बार गाने शुरू हो गए तो फिर अपनी अलग दुनिया मै गुम हो जाते है, एक अलग खुशी सी महसूस होती है। ज्यादा कुछ है नही अपने बारे में बताने के लिए, बस ये किताब पढ़ लीजिए, आपको काफी कुछ पता लग जाएगा। Book ISBN: 9789360940027