Description of the Book:
यह पुस्तक अलग अलग शैलीयों की कविताओं और गज़लों का एक लघु संकलन है। लेखक द्वारा इन कविताओं में आज के वर्तमान परिदृश्य में युवाओं के हृदय में उठने वाले विचारों का एक काव्यात्मक चित्रण प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। इन कविताओं में हिंदी के अलग अलग स्वरूपों का प्रयोग किया गया है। इस काव्य संकलन में इक्कीस कविताओं को सात सात की संख्या में तीन भागों में बाँटा गया है। प्रथम भाग की कविताएँ, प्रकृति सौंदर्य, प्रेम, विरह, व्याकुलता एवं वीर रस आदी पर आधारित हैं और इनको शुद्ध हिंदी और आजकल की बोलचाल की हिंदी की मिश्रित भाषा में लिखा गया है। दुसरे भाग में हिंदी, उर्दू और कुछ फारसी शब्दों को लेकर लिखी गई कुछ गज़ले हैं जिनकी विषयवस्तु मुख्यतः दुविधा, समाज, प्रेम, विरह वेदना आदी हैं। तीसरे और अंतिम भाग में हमारे समाज में आम जीवन को असहज कराने वाले लोगों की मानसिकता पर व्यंग कसती कुछ हल्की फुल्की हास्य व्यंग की कविताएँ हैं। इस पुस्तक का एकमात्र उद्देश्य इसकी कविताओं के द्वारा कवि के मनोभावों का प्रदर्शन मात्र है, अतः पाठकों का विवेक अपेक्षित है।
जग बहुरूपी
Author Name: अरुण कुमार सिंह About the Author: लेखक का जन्म झारखण्ड के छोटानागपुर के पठारी क्षेत्र में एक निम्न मध्यम वर्गीय जनजातीय परिवार में हुआ था। माता पिता ने सीमित संसाधनों के होते हुए भी इन्हे अच्छी शिक्षा और जीवन के विविध अनुभवों को प्राप्त करने का पूरा अवसर दिया। स्कूल के दिनों से ही इनमें लिखने की रूचि जाग गई थी। यह मुख्यतः कवि हैं परंतु कुछ वर्षों से लघु कथाएं भी लिखते हैं। ये लेखनी में हिंदी के शुद्ध हिंदी, बोलचाल की हिंदी, उर्दू मिश्रित हिंदी अथवा लोकभाषा मिश्रित हिंदी, आदी स्वरूपों का प्रयोग करते हैं। वर्तमान में सरकारी नौकरी में कार्यरत हैं, परंतु लेखनी भी साथ साथ चल रही है। ये अपने परिवार और मित्रों से प्रेरणा लेकर अपने निकटस्थ घटित होती घटनाओं एवं अपने मन की भावनाओं को आधार बना कर अपनी रचनाएँ लिखा करते हैं। यह इनकी प्रथम प्रकाशित रचना है। Book ISBN: 9789395620222