Description of the Book:
उलझन की छांव , हम सब तपती दोपहरी में न जाने क्या पाने की कोशिश में भाग रहे हैं पर कुछ पाने से महत्वपूर्ण ये है कि यदि हम भाग ही रहें हैं तो मंजिल तक पहुंच क्यूं नहीं पा रहे ......
क्या हमे सच में कहीं पहुंचना है ?क्या जो हम चाहते है असल में भी वही हमे चाहिए ?
यह सभी कविताएं जो आज आप तक पहुंची हैं कई उलझनों से होकर गुजरी हैं इन सभी के हृदय में भाव हैं कुछ भाव जो जिंदगी जीते रहने पर स्वयं आकर दरवाजा खटखटा जाते हैं ,कुछ भाव जो शायद जिए नहीं गए असल जिंदगी में परंतु हृदय ने उन्हें आसरा दे दिया ,कुछ युद्ध जो दुनिया से लड़ा गया और कुछ जो स्वयं से हर युद्ध हर भाव जिंदगी का प्रत्येक पड़ाव जुड़ कर कब शब्दों की माला बन जाए पता भी नहीं चलता ..... माला के प्रत्येक मोती अपनी कहानी समेटे सीपी में छुपे जमाने से बच कर सांसे लेते रहना चाहते हैं परंतु एक आस की जमाना शायद उन्हें पहचान कर अलंकार बना ले वो क
उलझन की छांव
Author's Name: Achala Mishra
About the Author: जिंदगी के नाम ख़त लिखना पसंद है मुझे ,कभी कविता कभी कहानी इस सब के नाम पर बहुत कुछ लिख देती हूं बस खुद को छोड़ के ,फिर किसी एक बड़े कथाकार या कवी की बहुत ही बुरी नक़ल करते हुए कह देती हु कि ये कविता दरसल एक गाने के किसी मुखड़े का रूप है जो मुझे बहुत पसंद आया था बात सही है अपनी हर लिखावट नही जी सकता कोई क्योंकि हम डरते बहुत है जीने से पर बात ये भी सही है कि बिना जिए पन्नो पे जस्बात उतरना नामुमकिन है तो इस बात का यकीन मानिए की जिंदगी के साथ साथ लोग कहानियां भी जीते हैं कविताएं शायरियां गाने सब जीते हैं उम्र ज्यादा नहीं है मेरी और जिंदगी भी बहुत नहीं जी है मैने पर जैसा मैंने कहा कि जो व्यक्ति जीवित है वो जीता है हर भाव को हर कविता को, हर कहानी को और शायद इसी दुनिया में खोए हुए मैने भी एक दुनिया बुनी कविताओं की मुझे लिखना पसंद है आप में से कई लोगो की तरह मैं भी नई कविताएं और कहानिया Book ISBN: 9789363317505